Anam

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सूरदास जी के पद



बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं
तब ये लता लगति अति सीतल¸
अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं।।
बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸
बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं।
पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि, 
दधिसुत किरनभानु भई भुंजैं।।
ये ऊधो कहियो माधव सों¸
बिरह करद करि मारत लुंजैं।
सूरदास प्रभु को मग जोवत¸
अंखियां भई बरन ज्यौं गुजैं।।
 


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